मै एक बारह साल के लड़की हूँ। लड़की होने के नाते मेरे उपर बहुत पाबन्दी होती है। मेरे कहीं जाने पर बहुत सारे प्रश्नों का उत्तेर देना पड़ता है। कई बार मेरा मन करता है की इन सभी बन्धनों को तोड़ कर मै आकाश में आजादी से चिड़िया बन कर उडूं। यदि मै चिड़िया होती तो मै अपनी आजादी से रहती। मेरा जो मन करता मै वही कराती। मै आकाश में बादलों के साथ उड़ाती और बांदालो से बांते कराती। ऐसा लगता मानो मै बादलों में तैर रही होती। मुझे कोई रोकने और टोकने वाला नहीं होता। मै प्रकीर्ति के सौंदर्य का आनंद उठाती। भूख लगने पर पेड़ों का मीठा फल खाती और प्यास लगाने पर झरने का ठंढा पानी पीती। मेरे कुछ दोस्त भी होते। मै उनके साथ दिन भर आसमान की सैर करती। मुझे न पढाई की चिंता रहती और न ही परीक्षा का तनाव रहता। बस जो मन कहता वही करती। पेड़ पर बैठ कर बारिस के बूंदों का आनंद लेती। इतनी अच्छी जिंदगी का अनुभव अपने आप में बहुत ही संतोषजनक और आनंदमयी है। मै पेड़ों पर झूला झूलती। और थक जाती तो अपने घोषले में जाकर आराम करती। जहाँ मुझे किसी चोर , डाकू और बदमाश का डर नहीं होता। न कमाने की चिंता होती और न बाजार करने का झंझट होता। ऊपर वाला मेरा आबोदाना हमेशा रखता।
लेकिन कभी कभी यह देख कर खराब लगता है। जब मै उन पंछियों को पिंजरे में बंद देखती हूँ। मनुष्य चिड़ियों के जीवन को भी बहुत ही घिनौना बन दिए हैं। चिड़ियों को पिंजरे में वे कैद कर देतें है। उनके पंख भी क़तर देते हैं। मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पूरी दुनिया को जहन्नुम बनाने में जूता है। तरक्की के नाम पर प्रकीर्ति का सत्यानास कर रहें हैं।
Good. Try to do better.There are a few mistkes though.
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